मत्ती 15:1-20
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version
मनई क बनवा बिधान स परमेस्सर क व्यवस्था बड़वार अहइ
(मरकुस 7:1-23)
15 फिन कछू फरीसियन अउर धरमसास्तिरियन यरूसलेम स ईसू क लगे आएन अउर ओसे पूछेन, 2 “तोहार चेलन हमरे पूर्वजन क रीति रिवाज क काहे नाहीं मनतेन? उ पचे खइया खाइ स पहिले आपन हथवन क काहे नाहीं धोउतेन!”
3 जबावे मँ ईसू ओनसे पूछेस, “आपन रीति रिवाजन क कारण तू परमेस्सर क हुकुम क काहे टारत ह 4 काहेकि परमेस्सर तउ कहेस, ‘तू आपन महतारी बाप क इज्जत करा’(A) अउर जउन कउनो, ‘महतारी बाप क बेज्जत करइ, ओका जरूर मार डावइ चाही।’(B) 5 मुला तू कहत ह कि अगर कउनो आपन महतारी बाप स कहइ, ‘मइँ आपन सब कछू परमेस्सर क अर्पन कइ दिहे हउँ, एह बरे तोहार मदद नाहीं कइ सकत हउँ।’ 6 इ तरह ओका आपन बाप क मानइ क जरूरत नाहीं। एह तरह तू आपन रीति रिवाजे क कारण परमेस्सर क हुकुम क नाहीं मान्या। 7 अरे कपटी मनइयो! तोहरे बारे मँ यसायाह ठीक ही भविस्सबाणी किहेस। उ कहे रहा:
8 ‘इ सबइ सिरिफ ओंठन स कि हमार मान करत हीं,
मुला रहत ऍनकइ मन मोसे सदा दूर
9 अर्पन भइ आराधना मोका ऍनकी बगैर कामे की काहेकि
सिखउतेन इ सबइ मनइयन क कहिके आपन धरम क उपदेस बनवा नेम मनई क।’” (C)
10 उ भिड़िया क आपन नगिचे बोलाऍस अउर ओनसे कहेस, “सुना अउर समझ ल्या कि 11 मनई क मुँहे स जउन भीतर जात ह उ ओका अपवित्तर नाहीं करत, मुला ओकरे मुँहना स निकरा सब्द ओका अपवित्तर करत ह।”
12 तब ईसू क चेलन ओकरे निअरे आएन अउर बोलेन, “का तोहका पता बाटई कि तोहरे बात क फरीसियन बहोत बुरा मान गएन?”
13 ईसू जबाव दिहेस, “हर पउधा जेका सरगे मँ बसा मोर परमपिता नाहीं लगाएन, ओका उजाड़ दीन्ह जाई। 14 ओनका तजि द्या, उ सबइ तउ आँधरन क नेता अहइँ। जदि एक आँधर दुसरे आँधर क राह देखावत ह, तउ उ दुइनउँ गड़हा मँ गिरि जात हीं।”
15 जबावे मँ पतरस ओसे कहेस, “हम पचन क पवित्तर न होइ क बारे मँ पहिले दीन्ह मँ दिस्टान्त क समझावा।”
16 ईसू कहेस, “का तू अबहूँ नाहीं समझया? 17 का तू नाहीं जानत अहा कि जउन कछू कउनो क मुँहे मँ जात ह, उ ओकरे पेटे मँ पहुँचत ह अउर फिन टट्टी स निकर जात ह 18 मुला जउन मनई क मुँहे स बाहेर आवत ह, उ ओकरे मने स निकरत ह। इहइ ओका अपवित्तर करत ह। 19 काहेकि बुरा बिचार, कतल, व्यभिचार, बुरी चाल, चोरी, झूठ अउर निन्दा सबइ बुराई मनवा स ही आवत हीं। 20 इहइ अहइँ जेसे कउनो अपवित्तर बनत ह। बे हाथ धोए खाइ स कउनो अपवित्तर नाहीं होत।”
Read full chapterAwadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.